hindisamay head


अ+ अ-

कविता

द्यूत या जुआ

मुंशी रहमान खान


द्यूत पाप का बाप है माता लालच जान।
बंश दंभ छल तस्‍करी झूठ कपट अभिमान।।
झूठ कपट अभिमान क्रोध मद घात लगाए।
राजा नल अरु धर्मराज अस पल महं रंक बनाए।।

कहैं रहमान सदा तुम बचियो द्यूत पुराना भूत।
भूत लगै ओझा हरै नाश करै तुम्‍हें द्यूत।।

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में मुंशी रहमान खान की रचनाएँ